दुनिया इस पार से उस पार हो जाए, शंकराचार्य कभी किसी ग़ैर ब्राह्मण से गले नहीं मिल सकता। पैर भी दूर से ही छूना पड़ता है, जबकि ख़ास जाति में पैदा होने के अलावा उनमें कोई गुण नहीं होता। यही Hinduism है। pic.twitter.com/I2Df7lkjJ7

— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) November 1, 2021