ForesightIndia Posted December 28, 2017 Report Posted December 28, 2017 जन्म कुण्डली के आधार पर आपको आपके भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में पता चल सकता है. सभी का भविष्य अलग होता है. कोई सुखी तो कोई दुखी रहता है अथवा किसी को मिश्रित फल जीवन में मिलते हैं. किसी भी बात के होने में कुण्डली के योग और जिस ग्रह की दशा/अन्तर्दशा चल रही होती है वह महत्व रखती है. बहुत बार ऐसा होता है की जन्म कुण्डली में योग अच्छे बने होते हैं और ग्रह भी बली अवस्था में होते है लेकिन फिर भी व्यक्ति को शुभ फल नहीं मिलते हैं. क्योकि ग्रह वर्ग कुण्डली में कमजोर हो जाता है इसलिए ही वैदिक ज्योतिष में वर्ग कुण्डलियों का अत्यधिक महत्व माना जाता है. जन्म कुण्डली में मौजूद फलो का स्वाद वर्ग कुण्डलियो से ही मिलता है, कुंडली के बारे में जानते -पढ़ते -सुनते समय नवमांश कुंडली का जिक्र आप लोगों ने कई बार सुना होगा।सामान्यतः आप सभी को ज्ञात है कि कुंडली में नवें भाव को भाग्य का भाव कहा गया है। यानि आपका भाग्य नवां भाव है। इसी प्रकार भाग्य का भी भाग्य देखा जाता है ,जिसके लिए नवमांश कुंडली की आवश्यकता होती है। जैसे आपके विवाह के लिए नवांश कुंडली देखते है. नवांश कुण्डली अथवा D-9 कुण्डली अत्यधिक महत्वपूर्ण कुण्डली है वैसे तो इसे जीवनसाथी के लिए देखा जाता है कि वह कैसा होगा और उसके साथ संबंध कैसे रहेगे आदि बातें देखी जाती हैं. लेकिन इस कुण्डली को जीवन के हर क्षेत्र के लिए भी देखा जाता है. जो योग जन्म कुण्डली में बनते हैं उनकी पुष्टि इस कुडली में होती है. जन्म कुण्डली शरीर है तो नवांश कुण्दली को आत्मा माना जाता है.यदि बिना नवमांश कुंडली देखे केवल लग्न कुंडली के आधार पर ही फल कथन किया जाए तो फल कथन में त्रुतिया रह सकती है या फल कथन गलत भी हो सकता है। अगर जन्मकुंडली का सप्तमेश और नवांश कुंडली लग्न दोनों बली हों तो वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। https://www.foresightindia.com/basichoro/C2 Quote
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